बबूल के फायदे: प्राकृतिक उपचार की कुंजी
बबूल(कीकर) |
बबूल(कीकर)
बबूल एक प्रकार पेड़ होता है,जो अक्सर सुखी जलवायु और कठिन भूमि में पाया जाता है।यह भारत में काफी प्राचीन काल से उपयोग किया जाता है।बबूल के पेड़ को कीकर भी कहा जाता है।
बबूल का उपयोग
बबूल का पेड़ अपने में बहुत ही पर्याप्त है।इसके पत्ते,फूल और फली में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इन्हें आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
दांत संबंधी रोगों में बबूल की दातून का प्रयोग:
दांत संबंधी रोगों में बबूल की दातून बहुत ही लाभकारी है।ग्रामीण इलाकों में कीकर और नीम की दातून का सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है। इसमें बबूल की दातून सर्वोत्तम है।इससे आपके दांतों की और मसूड़ों की सभी समस्याएं दूर होती हैं।कीकर की दातून को मसूड़ों में खून आने पर और सूजन होने पर प्रयोग किया जाता है।
प्रयोग करने की विधि:
कीकर की दातून यदि सूख जाए तो रात को उसे भिगोकर रख दें और सुबह को उस से दांत साफ करें।इससे दांत व मसूड़े दोनो मजबूत होंगे। दांत के अंदर किसी भी प्रकार की परेशानी है तो वह दूर होगी,संक्रमण नही होगा।बबूल की दातून दांतों के लिए रामबाण इलाज है।
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दांत संबंधी रोगों में बबूल की छाल का प्रयोग:
जिनको दांत सम्बन्धी परेशानी हो,दांत कमजोर हों या मसूड़े की परेशानी हो।उनके लिए कीकर का पेड़ बहुत ही लाभकारी है।
प्रयोग करने की विधि:
इसके लिए कीकर की छाल को कूटकर उसके पाउडर में थोड़ी फिटकरी,थोड़ी लौंग और काली मिर्च मिलाकर मंजन बना लें। इसमें त्रिफला आदि को भी मिला सकते हैं।फिर इससे दांतों पर मंजन करें।इससे दांत संबंधी सभी परेशानियां दूर होंगी।
मुंह के छाले के लिए बबूल की पत्तियों का प्रयोग:
यदि आपके मुंह में छाले हों,मसूड़े कमजोर हो रहे हों।तो इसके लिए कीकर की पत्तियों को मुंह में लेकर अच्छी तरह चबाएं और मुंह में घुमाएं। इससे मुंह के छाले ठीक होंगे और मसूड़े मजबूत होंगे। मुंह के छालों के लिए ये बहुत ही लाभकारी उपाय है।