“एक छोटा सा कदम,बड़ा पर्यावरणीय परिवर्तन”कुल्हड़ चाय
0BPL Ayurvedaफ़रवरी 08, 2024
“एक छोटा सा कदम,बड़ा पर्यावरणीय परिवर्तन”कुल्हड़ चाय
चाय पूरे एशिया में एक लोकप्रिय पेय है। जिसकी उत्तपत्ति प्रारंभिक आधुनिक भारतीय उपमहाद्वीप में हुई थी। दूध और पानी को उबाल कर उसमे सुखी चाय पत्ती डाल कर उसमे मिठास के लिए चीनी डाल कर उबाला जाता है।उससे चाय तैयार होती है।
ज्यादातर लोग सुबह की शुरुवात चाय से करते है और आज कल काम के बीच में ज्यादातर लोग Tea Break लेना पसंद करते है।इससे पता चलता है की चाय की लोक प्रियता बढ़ती जा रही है।
पर ज्यादातर लोगों को नही पता की चाय किसमे पीनी चाहिए।प्लास्टिक कप में या कुल्हड़ में।
तो आज हम इस ब्लॉग में यही जानेंगे की चाय को कौनसे बर्तन में पीना अच्छा है।।तो चलिए शुरू करते हैं
कुल्हड़ चाय और पेपर कप चाय: फायदे और नुकसान
पोषण का महत्व:
कुल्हड़ में चाय पीने से बैक्टीरिया संक्रमण की रोकथाम में मदद मिल सकती है।मिट्टी के बर्तन में चाय डालने से इसकी पौष्टिकता बढ़ जाती है। मिट्टी में खनिज, फास्फोरस, लोहा, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे तत्व होते हैं जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। थकान दूर होती है.
इसके विपरीत प्लास्टिक कप या डिस्पोजेबल कप में चाय पीने से सेहत को काफी नुकसान पहुंच सकता है. इसमें जो केमिकल इस्तेमाल होता है, उससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं.
संस्कृति और अर्थशास्त्र:
कुल्हड़ में चाय पीने की परंपरा सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही है। जबकि मिट्टी से बने बर्तनों का उपयोग मुख्य रूप से गांवों में किया जाता है, मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करने की अवधारणा धीरे-धीरे चलन में आने लगी है और कई लोग कांच के बर्तनों के स्थान पर मिट्टी से बने बर्तनों का उपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं।
कुल्हड़ गांवों में बनता है. कुछ परिवारों के लिए मिट्टी के बर्तन ही कमाई का एकमात्र साधन है। कुल्हड़ में चाय पीने से उनकी कला को बढ़ावा देने और उनके लिए रोजगार को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।
इसके विपरीत प्लास्टिक कप या डिस्पोजल में चाय पीने से स्वास्थ्य को तो हानि है ही। इसके अलावा इनके प्रयोग से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है। प्लास्टिक कप धरती में सालों साल बिना गले बिना सड़े पड़े रहते हैं। जिससे पर्यावरण प्रदूषण होता है।